स्याही से लिखी बगावत की बातें,
हर अक्षर में छुपी हैं सौ सौ सौगातें।
न झुकी है, न रुकी है ये कलम,
हर दौर में कहती रही अपना भ्रम।
कभी यह लिखे इंक़लाब की लय,
कभी यह बहाए दर्द की नदियाँ।
चुप न रहेगी, डर न सकेगी,
हर जंजीर से टकरा के रहेगी।
कागज़ों पर आग बरसाएगी,
सत्य की लौ जलाएगी।
झूठ, छल, अन्याय के आगे,
सदैव यह सिर उठाएगी।
ये The Rebel Pen की आवाज़ है,
हर दिल की अनकही साज़ है।
जो सच कहना चाहे खुलकर,
उसके लिए यह अनमोल राज़ है।