बात एक ही तो है हम कहो या तुम कहो,
इज़हार तो होना ही है चाहे हम करें या तुम करो..।।
तेरी आज़ाद निगाहे,
मेरी प्यासी खामोशी को कैसे पढेंगी!
नया नया शौक हमे रूठने का लगा है,
खुद ही भूल जाते है, के रूठे थे किस बात पर..
“कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,
जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं।
जलो वहा, जहाँ उजाले की जरूरत हो,
उजालो में चिरागों की तपन ठीक नहीं।”