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डायरी प्रविष्टि – "पटना राजाबाजार शिवरात्रि झांकी दर्शन"

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📅 तारीख: 28 फरवरी 2025

🕒 समय: रात 11:45 बजे

प्रिय डायरी,

आज बात करते हैं पटना शिवरात्रि के दिन का 26/02/2025 ...! शिवरात्रि का दिन और पटना का राजाबाजार… अगर यहां के झांकी दर्शन नहीं किए, तो जैसे शिवरात्रि अधूरी रह गई। हर साल की तरह इस बार भी मैंने तय किया कि शिवजी की भव्य झांकी देखने ज़रूर जाऊँगा।

शाम होते ही माहौल में एक अलग ही उमंग थी। हर गली, हर चौराहा रंग-बिरंगी रोशनी से नहा चुका था। मछली गली से शेखपुरा मोड़ तक शिवभक्तों की कतारें, ढोल-नगाड़ों की आवाज़ और भोले के जयकारे माहौल में गूंज रहे थे।

शुरुआत – मछली गली की रौनक

करीब शाम 7 बजे मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ घर से निकला। मछली गली पहुँचते ही माहौल देखते ही बन रहा था।

सड़क के दोनों ओर झांकियों की तैयारियां जोरों पर थीं।

कुछ लोग भजन-कीर्तन में मगन थे, तो कुछ भगवा रंग में रंगे हुए थे।

दुकानें फूल, प्रसाद, और भोलेनाथ की तस्वीरों से सजी हुई थीं।

यहाँ से हम धीरे-धीरे शेखपुरा मोड़ की ओर बढ़े। रास्ते में हर झांकी अलग-अलग थी

कहीं शिव-पार्वती की भव्य मूर्तियाँ, तो कहीं कैलाश पर्वत की अद्भुत झलक। कुछ झांकियों में तांडव नृत्य का प्रदर्शन था, तो कहीं शिव-गंगा अवतरण का सजीव चित्रण।

हर जगह भजन-कीर्तन की धुनें, शंख-ध्वनि और ढोल-नगाड़े माहौल को भक्ति से भर रहे थे।

शेखपुरा मोड़ – भीड़, भक्ति और भव्यता

शेखपुरा मोड़ पर भीड़ और बढ़ गई थी। सड़क के दोनों तरफ शिवभक्तों का सैलाब था।

बच्चे डमरू बजाते हुए घूम रहे थे,

महिलाएं शिवभजनों में मगन थीं,

और युवा भोलेनाथ की भक्ति में झूम रहे थे।

हमने वहाँ एक जगह बैठकर गर्म-गर्म चाय पी और माहौल को महसूस किया।

यहाँ सबसे आकर्षक झांकी थी – शिवजी का तांडव अवतार। सामने एक मंच पर कलाकारों ने भगवान शिव के रूप धारण कर उनका नृत्य प्रस्तुत किया।

मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य था… ऐसा लग रहा था कि भोलेनाथ साक्षात हमारे बीच उपस्थित हैं।

रुकनपुरा शिव मंदिर – अंतिम पड़ाव, शांति का अहसास

करीब रात 10 बजे हम रुकनपुरा शिव मंदिर पहुँचे।

यहाँ का माहौल सबसे अलग था – एकदम शांत, सुकून भरा। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही अगरबत्ती की खुशबू और भजनों की मधुर ध्वनि मन को शांत कर रही थी।

हमने वहाँ जाकर शिवलिंग का अभिषेक किया, जल और बेलपत्र चढ़ाए। मंदिर के पुजारी जी ने कहा – "शिवरात्रि का असली महत्व सिर्फ उपवास या जागरण में नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और भक्ति में है।"

इस बात ने मुझे अंदर तक छू लिया।

समापन – एक अविस्मरणीय रात

रात के करीब 11:30 बज चुके थे। हम घर लौट रहे थे, लेकिन मन अब भी उसी भक्ति-मय वातावरण में खोया हुआ था।

पटना की शिवरात्रि झांकियाँ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक संस्कृति, एक परंपरा, एक आस्था हैं।

शिवरात्रि हर साल आती है, पर हर बार कुछ नया एहसास छोड़ जाती है।

"हर हर महादेव!"

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