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डायरी प्रविष्टि – "UPSC इंटरव्यू, तीसरी बार"

📅 तारीख: 18 मई 2025

🕒 समय: रात 11:45 बजे

🏠स्थान: दिल्ली

प्रिय डायरी,

आज मैं फिर उसी दरवाज़े पर खड़ा था— UPSC भवन, धौलपुर हाउस।

तीसरी बार।

पहली बार आया था, तो दिल में जुनून था, आँखों में सपने थे और मन में यह यकीन था कि "मैं कर सकता हूँ!"
दूसरी बार थोड़ा और परिपक्व था, आत्मविश्वास भी पहले से ज्यादा था, लेकिन सफलता फिर भी दूर रह गई।
अब तीसरी बार...

इस बार कुछ बदला-बदला सा लग रहा था।
नervousness पहले जैसी थी, लेकिन उसके साथ एक अजीब सा धैर्य भी था।
यह एहसास कि "अगर यह आखिरी मौका हुआ, तो क्या?"

तीसरी बार UPSC का इंटरव्यू देना आसान नहीं होता।


सुबह की तैयारी – अबकी बार आखिरी बार?

सुबह जल्दी उठा, लेकिन इस बार अलार्म की ज़रूरत नहीं पड़ी।

दिमाग में कोई नोट्स नहीं घूम रहे थे, ना किसी नए करेंट अफेयर्स का रिवीजन कर रहा था।
बस आईने में खुद को देखा और खुद से कहा—

"इस बार कोई डर नहीं, कोई झिझक नहीं।"
"जो होगा, अच्छा ही होगा।"

फॉर्मल कपड़े पहने, डॉक्यूमेंट्स फाइल में रखे और निकल पड़ा धौलपुर हाउस की ओर।


UPSC भवन – वही जगह, वही घबराहट

UPSC ऑफिस के बाहर पहुँचा/पहुची, तो सब कुछ जाना-पहचाना लगा।

  • वही सुरक्षा जाँच,
  • वही वेटिंग रूम,
  • वही घबराए हुए उम्मीदवार,
  • वही फुसफुसाहटें— "यार, इस बार ट्रिकी पैनल है!"

पर इस बार मैं अलग था।

पहले जैसी बेचैनी नहीं थी, बल्कि एक अजीब सी शांति थी।

कुछ कैंडिडेट्स पहली बार इंटरव्यू देने आए थे, उनकी आँखों में वही चमक थी जो पहली बार मेरी आँखों में थी।

मैंने एक हल्की मुस्कान के साथ उनकी ओर देखा।
"काश, कोई मुझसे पूछे कि तीसरी बार कैसा लगता है?"

लेकिन किसी ने नहीं पूछा।


इंटरव्यू रूम – तीसरी बार, लेकिन नया अनुभव

जब मेरा नाम पुकारा गया, तो मैंने एक गहरी साँस ली और कमरे की ओर बढ़ गया।

अंदर पाँच सदस्यों का वही पैनल था—
बीच में चेयरमैन,
एक महिला सदस्य,
दो वरिष्ठ अधिकारी,
और एक प्रोफेसर।

मैंने "गुड मॉर्निंग सर, गुड मॉर्निंग मैडम!" कहा और कुर्सी पर बैठने की अनुमति माँगी।

पहला सवाल फिर वही था—

"आप प्रशासनिक सेवा में क्यों आना चाहते हैं?"

तीसरी बार यह सवाल सुनना अजीब था।
पर इस बार जवाब देने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं थी।

"सर, यह सिर्फ एक करियर नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है। और मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूँ।"

पैनल मुस्कुराया।


सवाल कठिन थे, पर मन शांत था

इसके बाद सवालों की झड़ी लग गई—

"आपके राज्य में सबसे बड़ी प्रशासनिक चुनौती क्या है?"
"अगर आपको एक अति पिछड़े जिले में SDM बनाकर भेजा जाए, तो आपकी प्राथमिकताएँ क्या होंगी?"
"भारत में बेरोज़गारी और कौशल विकास को कैसे संतुलित किया जा सकता है?"
"तीसरी बार इंटरव्यू दे रहे हैं, तो आपको क्या लगता है, पिछली बार कहाँ कमी रह गई थी?"

आखिरी सवाल सुनकर मैं थोड़ा रुका।

"क्या यह सवाल मेरा आत्मविश्वास जाँचने के लिए था?"

मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
"सर, पिछली बार मैं शायद थोड़ा नर्वस था, लेकिन इस बार मैं और ज़्यादा परिपक्व हूँ।"

उन्होंने सिर हिलाया, जैसे मेरे जवाब से संतुष्ट थे।


क्या मैं सफल होऊँगा?

इंटरव्यू खत्म होते ही चेयरमैन ने कहा—

"अच्छा, धन्यवाद! हमें आपसे बातचीत करके अच्छा लगा।"

मैंने मुस्कुराकर कहा—
"धन्यवाद सर, धन्यवाद मैडम!"

बाहर निकलते ही एक अजीब सा खालीपन महसूस हुआ।

"क्या मैं इस बार सफल होऊँगा?"
"अगर नहीं हुआ, तो क्या करूँगा?"

तीसरी बार इंटरव्यू देना आसान नहीं होता।

पर अब मैं जानता था कि अगर सफ़ल नहीं हुआ, तो भी मैं हारूँगा नहीं।

क्योंकि UPSC सिर्फ एक परीक्षा नहीं, यह धैर्य और आत्मविश्वास की यात्रा है।


आज जो भी हो, मैं गर्व से कह सता हूँ...

मैं नहीं जानता कि इस बार सिलेक्शन होगा या नहीं।

लेकिन एक बात पक्की है—

तीसरी बार भी हार नहीं मानी, यही सबसे बड़ी जीत है।

अब बस फाइनल रिजल्ट का इंतजार है।

पर इस बार...
डर नहीं लग रहा।

- The Rebel Pen



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