तारीख- 22/02/2025
स्थान - अयोध्या
समय - सुबह
दोस्तो आज हरिद्वार की यात्रा बताते हैं।
हरिद्वार की गंगा की लहरों ने आत्मा को शुद्ध कर दिया! अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन और सरयू तट पर बिताए गए पावन क्षणों के बाद अब मेरी यात्रा आगे बढ़ रही थी—हरिद्वार, गंगा माँ की गोद में बसे उस शहर की ओर, जहाँ भक्ति, शांति और आध्यात्म की गंगा बहती है। यह सफर सिर्फ़ एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का नहीं, बल्कि एक और पवित्र अनुभव की ओर बढ़ने का था।
अयोध्या से हरिद्वार – ट्रेन का लंबा लेकिन भक्तिमय सफर
अयोध्या जंक्शन से हरिद्वार के लिए ट्रेन पकड़ी। सफर लंबा था, लेकिन इसके अपने ही मजे थे। रास्ते में सहयात्रियों से भक्ति और यात्रा के अनुभव साझा हुए। कुछ लोग चारधाम यात्रा के लिए निकले थे, तो कुछ हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। ट्रेन में रामचरितमानस की चौपाइयों की गूंज थी, तो कहीं शिव भजनों की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी। यह सफर भक्तिभाव से भरा हुआ था।
हरिद्वार में पहला कदम – गंगा मैया का स्वागत
सुबह जब ट्रेन हरिद्वार पहुँची, तो ठंडी हवा के झोंकों ने यात्रा की थकान मिटा दी। स्टेशन से बाहर निकलते ही चारों ओर "हर हर गंगे" के जयकारे सुनाई दे रहे थे। ऑटो और रिक्शा वाले हर की पौड़ी तक जाने के लिए बुला रहे थे, और श्रद्धालु स्नान के लिए गंगा तट की ओर बढ़ रहे थे।
हर की पौड़ी – गंगा माँ की गोद में स्नान
पहला पड़ाव था हर की पौड़ी, जहाँ गंगा माँ की लहरें हर यात्री को अपनी बाहों में समेटने के लिए आतुर लग रही थीं। जैसे ही गंगा में पहला कदम रखा, ठंडे जल ने तन-मन को शुद्ध कर दिया। ऐसा लगा मानो सारी थकान, सारी चिंताएँ गंगा की धारा में बह गई हों। स्नान के बाद गंगा माँ की आरती में शामिल हुआ।
मनसा देवी मंदिर – हरिद्वार की पहाड़ियों से आशीर्वाद
हरिद्वार आकर मनसा देवी मंदिर के दर्शन न करूँ, यह कैसे संभव था? रोपवे से मंदिर तक पहुँचा और वहाँ से हरिद्वार शहर और गंगा का विहंगम दृश्य देखा। मंदिर में माथा टेका और माँ मनसा देवी से मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना की।
हरिद्वार की संध्या आरती – दिव्यता का चरम
शाम होते ही गंगा तट पर पहुँचा, जहाँ हर की पौड़ी पर गंगा आरती शुरू होने वाली थी। जैसे ही दीपों की रोशनी गंगा की लहरों पर नाचने लगी, पूरा माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। हजारों भक्तों की एक साथ गाए जा रहे भजनों की गूँज ने आत्मा को सुकून से भर दिया।
हरिद्वार का स्वाद और बाजारों की सैर
आरती के बाद हरिद्वार की गलियों में घूमने का मन किया। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ, गंगा जल, रुद्राक्ष की मालाएँ, और धार्मिक पुस्तकें दुकानों में सजी हुई थीं। प्रसाद के तौर पर गर्मागर्म जलेबी और कचौड़ी का स्वाद लिया, जो हरिद्वार की मिठास को और बढ़ा रहा था।
यात्रा से मिली सीख
हरिद्वार सिर्फ़ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि का केंद्र है। यहाँ आकर यह महसूस हुआ कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि माँ के समान हमारी सारी चिंताओं और पापों को धोने वाली दिव्य शक्ति है।
प्रिय हरिद्वार, तुम्हारी गंगा की लहरों और भक्ति से भरा माहौल जीवनभर याद रहेगा। अगली बार फिर आऊँगा, तुम्हारे निर्मल जल में खुद को और अधिक शुद्ध करने के लिए।
"हर हर गंगे! जय माँ गंगे!"