मैं रोया, खूब रोया, और इस हद तक रोया की एक दिन मेरी आंखो में एक सूखे सागर ने जन्म लिया.. मेरी आंखो से आंसू सूख चुके थे.. मैं चाहता था कि और रो लूं, मगर बिना आंसुओं के भला कैसे रोया जा सकता है..
मैं अब रोज रोने की कोशिश करता था, वो सब कुछ याद करता था जिसे सोचने भर से मेरी आंखें भर आती थी, लेकिन अब मैं चाहता हूं कि मैं रोऊं फिर भी मैं नहीं रो पाता था.. धीरे धीरे मैंने इसकी कोशिश भी बंद कर दी..
कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि अब ऐसे भी दिन बीत जाया करते हैं जिनमे कभी कभी मुझे तुम एक पल को भी याद नहीं आती हो.. अब तुम्हारी यादें भी बिल्कुल धुंधली पड़ने लगीं थी.. एक समय मुझे लगता था कि मैं कुछ भी नहीं भुला सकूंगा, अच्छा हो या बुरा.. परंतु अब मैं याद करने की भी कोशिश करूं तो मुझे इतना कुछ खास याद नहीं आता है..
अब लगता है जैसे सब कुछ बड़ा साधारण था.. हंसी आती है कि आखिर इतना सब कुछ इस लिए हुआ था की आज मैं खुदकी बेवकूफी पर अकेला बैठ हंस सकूं..
जाने वाले को जाने देना चाहिए.. जाने देना बड़ी हिम्मत का काम है इसमें कोई शक नहीं.. परंतु एक दिन अपने घर के हॉल में रखी कुर्सी पर बैठकर खुद पर हंसने से ज्यादा नहीं..!!
पार्थ.. ये जिंदगी में तुम जाने कितने लोगों से मिलोगे, जाने कितने रिश्ते बनेंगे और न जाने कितने रिश्ते इस जिंदगी की भाग दौड़ में या तो कहीं खो जायेंगे, या फिर आप आगे बढ़ने के चक्कर में उन्हें जान अपने पीछे छोड़ना ही बेहतर समझेंगे.. कोई भी ऐसा रिश्ता नहीं होगा जो जिंदगी भर तुम्हें सम्हालने के लिए तुम्हारे साथ अंतिम समय तक डटा रहेगा.. नहीं पार्थ, ऐसा मुमकिन ही नहीं..!
परंतु जिंदगी की भाग दौड़ में तुम्हें एक रिश्ता ऐसा मिलेगा जो पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ रहेगा या नहीं इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं परंतु जब आप इससे टकराएंगे तो आपकी जिंदगी की सारी भाग दौड़ अचानक रुक जायेगी.. सब कुछ, हर किसी के लिए उसी रफ्तार से चलेगा परंतु तुम्हारे लिए सब कुछ एक पल के लिए बिल्कुल धीमा हो जायेगा.. हो सकता यही तुम्हारी पहली और आखिरी मुलाक़ात हो पर ये वही रिश्ता होगा जो साथ ना होने के बाद भी पूरी उम्र तुम्हारे जहन में कुछ इस तरह से रह जायेगा की तुम्हारी आखिरी सांसे भी इसी पल के सहारे चैन से निकल जायेगी..
वो एक पल तुम्हारे लिए सब कुछ बदल देगा.. तुम्हें बदल देगा.. तुम एक नए रूप में होगे, जिसे तुम कभी नहीं जानते थे.. पार्थ तुम्हें पता रहने लगेगा कि सप्ताह का आज कौन सा दिन है, तुम्हारे लिए समय की कीमत अचानक बढ़ जायेगी, तुम्हें अब सारे परफ्यूम्स के नाम रटे रहेंगे.. तुम्हें जूतों के ब्रांड पता होंगे जबकि तुम अपने पड़ोसी का नाम तक नहीं जानते हो, तुम्हें अब स्मार्ट वॉच अच्छी लगेगी, तुम्हें याद रहेगा की खाने के वक्त एक चम्मच कितनी जरूरी है.. ऐसे ही जाने कितने बदलाव अपने आप तुम्हारे अंदर आ जायेंगे..!!
पार्थ जब ऐसे ही भागती हुई इस जिंदगी में अगर तुम किसी ऐसे से टकरा जाना तो बिल्कुल बदल लेना खुद को, "मैं" को त्यागकर "हम" को अपना लेना..
"मेरी गलती नहीं थी" को थोड़ा सा बदल लेना और इसे "मुझे माफ़ कर दो, मेरी गलती थी" कर लेना..
अहम को दफना देना खुद के भीतर ही कहीं.. वहम को त्याग देना.. बस इस पल को ऐसे जीना जैसे बस इसके लिए ही हमारा जन्म हुआ था और इसे हमें ऐसे जीना है जैसे बस यही सत्य है, इसके अतिरिक्त सब कुछ झूठ..
पार्थ ये रिश्ता चाहे एक पल का हो, या सदियों का.. बस इसे आखिरी तक ऐसे जीना जैसे तुम किसी किरदार में हो, और तुम्हें ये शो ऐसे खतम करना है कि लोग तालियां बजाए तो ऐसे बजाए की इसकी गड़गड़ाहट कई सौ मीलों तक सुनाई दे..!
ढोढ़ी पर गाना बनाने में भोजपुरी संगीत काफी प्रगतिशील रहा है। ढोढ़ी शरीर का केन्द्रक होता है। भोजपुरिया लेखकों ने ढोढ़ी केंद्र में रख कर कई गीत लिख दिया है। उन सभी गीतों में ढोढ़ी की भिन्न-भिन्न महत्ता स्वरबद्ध किया गया है।
खेसारी लाल यादव ढोढ़ी स्तुतिगाण के क्रांतिकारी गायक हैं। एक नायिका कल्पना की आवाज में कहती है, 'हम तो ढोढ़ी मुदले रहनी पियरी माटी से", खेसारी इस ढोढ़ी को कांटी से खोल देते हैं। इंदु सोनाली के स्वर में दूसरी नायिका ने आमंत्रित करते हुए जब कहा, "नदी नहर छोड़अ ढोढ़ी म मुड़ी मार ल" तो यादवजी परवाह करते हुए कहते हैं, ढोढ़ी में मुड़ी मारब तो लहक जाई आगी, मुड़ी यदि फंसी त दम फुले लागी। बाद में खेसारीजी ने ढोढ़ी को सलाई रिंच से खोल दिया था। इसी क्रम में खेसारी के शर्ट का बटन ढोढ़ी से फसके टूट जाता है।
पवन सिंह ने ढोढ़ी में बीयर डाल दिया, इधर अक्षरा सिंह की ढोढ़ी पसीना से भर जाता है। इसी बीच प्रमोद प्रेमी, ढोढ़ी में पानी अड़ने पर जवानी चढ़ाने लगे। ढोढ़ी का महिमा यहीं नहीं थमता, ढोढ़ी नगर स्थापत्य के क्षेत्र में भी रेखांकित किया गया है। शिल्पी राज ने ढोढ़ी में शहर लुधियाना बसा दिया। एक बार ढोढ़ी क्रीड़ा मैदान बन गया, विवेक गुप्ता ने साया के डोरी से लत्ती बनाके लट्टू नचा दिया था। अलवेला अशोक का पचटकिया ढोढ़ी में अटका ही था कि बुलेट राजा आए और हऊ वाला फील दबकर ढोढ़ी छील दिए। समय-असमय ढोढ़ी में सामियाना को चोप जाते रहता है। शशिलाल यादव ने तो धमकी देते हुए कहा था, नाचहवु न ताव से त ढोढ़ी जगहे घाव होई। इतना कुछ घटित होने के बाद अमित पटेल ने ढोढ़ी में साइलेंसर सटा दिया। चंदन चंचल से रहा नहीं गया तो ढोढ़ी को देवरा से चटवा के सारा संताप दूर कर दिया। इन सभी गानों को चिह्नित करते हुए भोजपुरी संगीत कई प्रकार का ढोढ़ी चालीसा भी श्रवणोपलब्ध कर चुका है।
अब ढोढ़ी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्थापित हो रहा है, भोजपुरी की नेहा कक्कड़ अंतरा सिंह प्रियंका जी ने ढोढ़ी में 32 GB रैम निकाल दिया है। हालांकि इससे पहले अवधेश प्रेमी लोकेशन चालू करके ढोढ़ी ढूंढते नजर आए थे।
सात-आठ सालों का साथ था पल भर में साथ छूटने के दुख का बस कल्पना ही किया जा सकता है।
शायद कल्पना करते वक़्त भी भावनाओं को काबू में करना किसी साधारण इंसान के लिए मुश्किल हो।
यहां उन अंतिम मुलाकातों में से एक का जिक्र कर रहा..
उनके चेहरे पर ग़म साफ देखा जा सकता था,बोलते समय होठ थरथरा रहे थे, बिछड़ जाने का डर साफ साफ दिख रहा था।
काफी देर की चुप्पी के बाद बोलीं "कल लड़के वाले घर आ रहे हैं, हो सकता है कल ही शगुन देकर रिश्ता पक्का हो जाए"
मैं फिर भी चुप रहा, कहने को शब्द नही थे, कहता भी तो क्या कहता।
फिर से सन्नाटा और थोड़ी देर बाद सन्नाटे हो उन्होंने ही तोड़ा
क्या करोगे तुम अब?
जिंदगी जो कराएगी कर लेंगे,ऊपरवाले में कुछ न कुछ तो सोचा ही होगा -मैने जवाब दिया।
शादी कर लो तुम भी
नही ये नही हो सकता, हमारे लिए अब किसी और रिश्ते को निभाना सम्भव नही होगा। मैं ये सब सोच भी नही सकता।
पागल मत बनो, कुछ न कुछ तो करना ही होगा, ऐसे अकेले रहोगे तो पूरे पागल हो जाओगे। अभी टाइमपास के लिए कोई नौकरी कर लो या फिर अपने डैड के ऑफिस जाना शुरू कर दो। पर कुछ तो करो।
जिंदगी इतनी लंबी है ऐसे कैसे कटेगी, काम करोगे तो मन लगा रहेगा।
मैं अपना देख लूंगा क्या करना है, तुम क्यों चिंता कर रही हो? तुम्हारे आने से पहले भी मैं था, न रहोगी तो भी रहूंगा ही न। किसी के आने जाने से क्या फर्क पड़ता है। न चाहते हुए भी ये बेरुखी भरा जवाब निकल गया।
ये सुनकर वो बिना गुस्सा हुए प्यार से समझाने वाले भाव मे बोली।
देखो, काम नही करोगे, पैसे नही कमाओगे, शादी करके दहेज भी नही लोगे तो वो जो मेरे से लाख रुपये के आसपास उधार ले रखे हो वो कैसे चुकाओगे? तुम्हारे डैडी देंगे या ससुर? प्यार से कह रही हूं तो समझ क्यों नही रहे।
ये कह कर वो वहां से चली गईं और मैं EMI पर टुकटुक टेम्पू खरीदने निकला पड़ा।
आधी उम्र जी लेने के बाद एहसास होता है कि आज तक जो भी हमने किया है, कमाया है सब कुछ बहुत कम पड़ रहा है.. ऐसा कुछ भी नहीं जो पर्याप्त है हमारे पास, और एक समय है जो भागा जा रहा है बहुत तेज गति से.. इस उम्र में आने के बाद लगने लगता है कि हमने कितना कुछ पीछे छोड़ दिया है जो कि सबसे जरूरी था हमारे लिए, उसे संजो कर रखना आखिर कितना जरूरी था ये बड़ी लगने वाली छोटी सी जिंदगी का गुजर बसर करने के लिए..!!
बचपन छूट गया फिर स्कूल छूट गया जैसे तैसे लगा की अब कॉलेज में मजे करेंगे तो वो समय और जल्दी बीता बाकी वक्त के मुकाबले में, हमने अपने लड़कपन में अपना पहला प्यार खो दिया, पहला प्यार छूट जाना पूरी जिंदगी अखरता है..फिर ये समय अचानक एक बोझ साथ ले आता है.. जिम्मेदारियों का..!! मिडिल क्लास लौंडे का जीवन 22–24 की उम्र में ही उसे वहां लाकर खड़ा कर देता हैं जहां हमें कम से कम 30 की उम्र में होना चाहिए था..
खैर इस सब के बीच एक सबसे बड़ी बात और सबसे बोझिल होता है अपने बाप को अपनी आंखो के सामने बूढ़े होते देखना..बाप के वो मजबूत कंधे जो पूरे परिवार को अकेले सम्हाल लिया करते थे अब उनकी बाजुओं में वो ताकत भी न होना की वो तुम्हारी हथेली थाम कर ही कुछ दूर तक चल सकें...
बाप के गिरते हुए दांत तुम्हें एहसास कराते हैं कि बाप अब तुमसे धीरे धीरे दूर जा रहा है.. ये वह समय होता है जब लाखों खटास हों बाप बेटे के रिश्ते में लेकिन लौंडे को समझना चाहिए कि अब उसे बाप से सारे गिले शिकवे दूर कर लेने चाहिए..!!
सब कुछ भूलकर कुछ समय उनके साथ बिताना चाहिए रोज.. उनकी गलत बात को भी सही मान लेना चाहिए कम से कम उनके सामने ही.. अगर वो तुमसे मार्केट से कुछ लाने कहते हैं तो बिना सवाल करे बस वो चीज उनके हाथों में होनी चाहिए शाम को.. अगर हम एक कप चाय बना रहे हैं तो उनसे बिना ये पूछे कि "क्या आप चाय पियेंगे", बस उनके सामने रख देना चाहिए.. जैसे जैसे बाप बूढ़ा होगा, उसकी वो सारी ताकत तुम्हारे भीतर आएंगी, क्युकी अब तुम उनकी जगह ले रहे होगे अपने वंश के लिए..
बाप को बूढ़े होते देखना और उसे रोज फील करना बहुत अजीब अनुभव है.. ये वही समय है जब बस हमें उनके लिए वो सब करना चाहिए जो उन्होंने हमारे लिए कभी किया था.. हालाकी हम चाह कर भी उनके जितना नही कर सकते, दुनिया का सबसे रईस बेटा भी अपने बाप के लिए वो सब नही कर सकता है जो उसके बाप ने उसके लिए किया होगा.. लेकिन हम इतना तो कर सकते हैं कि उनको हमेशा ये पता रहे की उनका बेटा/बेटी उनके लिए हर समय तत्पर हैं.. उसे ये एहसास करा सकते हैं कि हमने उनकी जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधे पर ले जरूर लिया है, पर अभी भी हमारी औकात नहीं की हम उनकी जगह ले सकें..
बाप, बाप होता है..
दुनिया बहुत छोटी है मेरी जान...
इसकी लंबाई मापी जा सकती है, तभी आज तुम और मैं साथ हैं..
अनंत तो ब्रम्हांड है, लेकिन उसे भी तुमने अपनी इन बड़ी सी आँखों में बस एक काज़ल के सहारे बांध रखा है..!!