1. शहर की चकाचौंध
"रौशन हैं हर गली यहाँ, दौलत की है बान,
पर दिल की इस भीड़ में, मिलता नहीं इंसान।"
→ शहर में रोशनी और दौलत तो खूब है, लेकिन यहां रिश्तों में अपनापन और सच्चे लोग कम ही मिलते हैं।
2. व्यस्त जीवन
"शहर में सब दौड़ते, दिन-रात हैं व्यस्त,
सुख की खोज में सभी, पर मन रहे त्रस्त।"
→ शहर में लोग व्यस्त जीवन जीते हैं, सुख की तलाश में रहते हैं, लेकिन फिर भी मानसिक शांति नहीं मिलती।
3. गाँव और शहर का अंतर
"गाँव की शुद्ध हवा नहीं, शहर धुआँ-धुआँ,
सुख-सुविधाएँ और हैं, पर मन में है कुआँ।"
→ गाँव की स्वच्छ हवा की जगह शहर में प्रदूषण और धुआँ है, सुविधाएँ हैं, लेकिन मानसिक शांति नहीं।
4. रिश्तों की दूरियाँ
"इमारतें ऊँची हुईं, दिल रह गए दूर,
अपनों से ही शहर में, नाता लगे अधूर।"
→ शहर में ऊँची-ऊँची इमारतें हैं, लेकिन लोग अपनों से दूर हो गए हैं, जिससे रिश्ते अधूरे लगते हैं।
5. बढ़ता प्रदूषण
"शहर का यह हाल है, धूल और धुआँ,
पेड़ सभी कटते गए, हवा हुई कुँआ।"
→ शहरों में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो गया है, क्योंकि पेड़ लगातार काटे जा रहे हैं।
6. व्यस्तता और अकेलापन
"शहर में पैसा मिला, पर सुकून है दूर,
भीड़-भाड़ में रह गए, रिश्ते सारे अधूर।"
→ शहर में लोग पैसा कमाते हैं, लेकिन शांति और सच्चे रिश्ते कहीं खो गए हैं।
7. लालच और माया
"शहर में माया मिली, पर मन रहा उदास,
सोने की इस क़ैद में, खुशियाँ हुईं निराश।"
→ शहर में दौलत तो मिलती है, लेकिन असली खुशी और मानसिक शांति नहीं मिल पाती।
8. बेरहम शहर
"शहर बड़ा बेरहम, यहाँ दिल भी पत्थर,
अपनों को भी लोग अब, समझें जैसे जहर।"
→ शहरों में रिश्तों में संवेदनाएँ कम होती जा रही हैं, लोग अपने स्वार्थ में अपनों से भी दूर हो जाते हैं।
9. समय की कमी
"शहर बड़ा व्यस्त है, फुर्सत का अभाव,
माता-पिता को भी यहाँ, देता नहीं पड़ाव।"
→ शहर में लोग इतने व्यस्त हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के लिए भी समय नहीं मिलता।
10. गाँव से शहर की ओर
"गाँव से जो आ गए, शहर के नाम,
धन मिला पर छूट गए, रिश्तों के धाम।"
→ गाँव से लोग रोजगार और धन कमाने शहर आते हैं, लेकिन यहाँ आकर अपने रिश्तों और अपनापन को खो देते हैं।
शहर की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी, चकाचौंध, प्रदूषण, रिश्तों की दूरियाँ और मानसिक तनाव को दर्शाते हुए ये दोहे लिखे गए हैं।