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कुम्भ हादसा

 

दैनिक जागरण










कुम्भ के मेले में जुटे हैं लाखों प्राण,  
हर कोई खोज रहा है मोक्ष का ज्ञान।  
गंगा तट पर बसा है अमृत का सागर,  
पर किस्मत ने कुछ और ही लिखा था अभाग्य के पन्नों पर।  

एक आत्मा यहाँ पहुँची, मन में थी आस,  
परलोक की तैयारी में थी वो तैयार हर पल, हर घड़ी।  
भीड़ में खो गया वो, अचानक ही सब थम गया,  
जीवन का सफर यहीं पूरा हो गया।  

गंगा मैया की लहरों ने छुआ उसका तन,  
मोक्ष की राह में मिल गया उसे अमरपन।  
कुम्भ का महात्म्य बना उसकी विदाई का साथी,  
जीवन के अंतिम पड़ाव पर मिल गया साथी।  

वो चला गया, पर छोड़ गया एक संदेश,  
जीवन है अनमोल, हर पल है अमूल्य अवसर।  
कुम्भ की पवित्र धरा पर उसकी आत्मा को शांति मिले,  
गंगा की गोद में वो सदा के लिए डूब जाए, मिले।  

जय हो गंगे, जय हो कुम्भ की महिमा,  
हर आत्मा को मिले यहाँ शांति और प्रेम की अभिव्यक्ति।  
वो चला गया, पर उसकी यादें रहेंगी अमर,  
कुम्भ की पावन भूमि पर बसी उसकी आत्मा का सार।  

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