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नाराज पत्नी से मिलन

1-
 "रूठी हुई शाम को मनाने आए हैं,
टूटे हुए ख्वाब फिर से सजाने आए हैं।
कुछ शिकवे तेरे, कुछ गिले मेरे,
आज सब भुलाने आए हैं।"

प्रिय सुंदरी,

       आज का दिन मेरे लिए किसी त्यौहार से कम नहीं, क्योंकि बहुत दिनों बाद तुम्हें देखने, तुम्हें महसूस करने का मौका मिलेगा। पता है, इन दिनों जब तुम मुझसे नाराज थी, तो ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया ही अधूरी हो गई हो। तुम्हारी बातें, तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी मौजूदगी—सब कुछ याद आता रहा।

शायद मुझसे कोई गलती हुई, शायद मैंने तुम्हें वो एहसास नहीं कराया जो तुम्हारी हक़दार हो। लेकिन सच कहूँ, तो तुमसे दूर रहकर मैंने जाना कि मेरा सुकून सिर्फ तुम्हारे पास है। अब जब मिलेंगे, तो मैं चाहता हूँ कि हम पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करें।

तुम्हारे बिना यह घर सिर्फ चार दीवारें लग रहा था। अब तुम्हारी हंसी से इसे फिर से घर बनाना चाहता हूँ। तुमसे बस इतनी गुजारिश है कि आज जब हम मिलें, तो एक बार फिर से उसी प्यार से मेरी ओर देखो, जैसे पहली बार देखा था। मैं हमेशा तुम्हारा था, और हमेशा तुम्हारा ही रहूँगा।

"तेरी नाराज़गी भी प्यारी लगती है,
पर तेरा साथ ज़रूरी है।
रूठने की हज़ार वजहें सही,
पर हमारा प्यार सबसे ज़रूरी है।"

तुम्हारा,
[कुंदन]
नोट:- यह लेखक के एक कल्पना मात्र है, किसी और से सम्बन्ध हो सकता है... 

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2-

"मिलने की ख्वाहिश, बयां कैसे करें,
दिल की बेचैनी को जुबां कैसे करें।
वक़्त ने दूरी बढ़ा दी थी हममें,
अब इस फासले को ख़त्म कैसे करें?"

प्रिय सुंदरी,

बहुत दिन हो गए तुमसे मिले हुए। ऐसा लगता है जैसे वक्त थम सा गया था, और अब जब तुम्हें देखने का मौका मिल रहा है, तो दिल एक अजीब सी खुशी से भर गया है। ये दिन, ये पल, ये लम्हे—सब जैसे बस तुम्हारे इंतज़ार में थे।

जब तुमसे दूर था, तो एहसास हुआ कि तुम्हारी हंसी, तुम्हारी बातें, तुम्हारी मौजूदगी मेरे लिए कितनी ज़रूरी है। इस दूरी ने सिखाया कि प्यार सिर्फ साथ रहने का नाम नहीं, बल्कि इंतज़ार करने और हर हाल में एक-दूसरे को महसूस करने का नाम भी है।

अब जब हम फिर से मिल रहे हैं, तो मैं चाहता हूँ कि यह मुलाकात यादगार बन जाए। तुम्हारी आँखों में वो पुरानी चमक देखना चाहता हूँ, तुम्हारी हंसी सुनना चाहता हूँ, तुम्हारे करीब बैठकर वो अधूरी कहानियाँ पूरी करना चाहता हूँ।

बस इतना कहना है कि तुम्हारे बिना दिन कटते थे, लेकिन अब हर लम्हा जिया जाएगा। हमारी मुलाकात में कोई भी बात अधूरी न रह जाए, कोई भी एहसास बिन कहे न रह जाए।

"फिर से वो हसीन शाम आ गई,
जिसका हमें कब से इंतज़ार था।
तेरी बाहों में सिमट जाऊँ,
आज बस यही ख्वाब बार-बार था।"

तुम्हारा,
[कुंदन]

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