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गाँव का प्यार ❤️🎶

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(लय: मधुर, लोकगीत शैली में)


(अंतरा 1)

कच्चे रस्ते, मिट्टी की खुशबू,

बगिया में खिलते अमरुद,

गोरी खड़ी है पनघट किनारे,

आँखों में सावन का नूर।


(कोरस)

गाँव का प्यार, सच्चा प्यार,

संग चले ये जनम भर यार,

न कोई छल, न कोई झूठ,

दिल से दिल का सच्चा तार।


(अंतरा 2)

माँ की रोटी, छाँव पेड़ की,

संग में बहती नदी की धार,

चौपालों पर बसी कहानियाँ,

साजन संग मीठी तकरार।


(कोरस)

गाँव का प्यार, सच्चा प्यार,

संग चले ये जनम भर यार,

न कोई छल, न कोई झूठ,

दिल से दिल का सच्चा तार।


(अंतरा 3)

चौमासे की भीनी बरसातें,

खेतों में हँसते कंगन,

पायल की छम-छम बिन बोले,

कहती दिल की बातें मन।


(आउट्रो)

जो भी जाए, लौट न पाए,

ऐसा है अपना गाँव,

जहाँ बसता सच्चा अपनापन,

जहाँ है प्रेम की छाँव।


———

ये गाना गाँव की सादगी और वहाँ के प्रेम की मिठास को समर्पित है। 

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