ऐ चाँद
ऐ चांद की किरणें जाओ ना,
तुम उस को छू कर आओ ना,
वो कब कब क्या क्या करती है,
वो जगती है या सोती है,
वो किस से बातें करती है,
वो शाम को कैसी लगती है,
जब जगी कैसी दिखती है,
तुम चुपके चुपके जाओ ना,
तुम उसको छू कर आओ ना,
हम उसके बिना अधूरे हैं,
और मुझको जाना मुश्किल लगता है,
तुम कान में उसके कह देना,
कोई याद तुम्हें बहुत करता है,
ऐ चांद की किरणों जाओ ना,
तुम उसको छू कर आओ ना...!!
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