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शराब का कहर

बिहार में मोतिहारी जिले में जहरीली शराब से करीब 20 लोगों की मौत  यही बयान कर रही है कि शराबबंदी से वांछित नतीजे हासिल नहीं हो रहे हैं और लोग चोरी-छिपे शराब बना और बेच रहे हैं। बिहार में एक शराब माफिया विकसित हो गया है, जो एक ओर जहां पड़ोसी राज्यों से तस्करी करके शराब ला रहा है और दूसरी ओर गुपचुप रूप से राज्य में ही शराब बना रहा है। अवैध तरीके से बनाई जाने वाली शराब अक्सर जहरीली शराब में तब्दील हो जाती है क्योंकि उसे बनाने वाले उसकी गुणवत्ता की परवाह नहीं करते। उनका पूरा ध्यान जैसे-तैसे शराब बनाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना होता है। यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब ने बिहार में कहर ढाया हो। इसके पहले सारण जिले में जहरीली शराब ने कहरा छाया था। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जो शराब पिएगा, वह मरेगा। राज्य सरकार ने जहरीली शराब से मरे लोगों के स्वजनों को मुआवजा देने से भी इन्कार किया था। इसमें संदेह है कि बिहार सरकार शराबंदी को अपनी नीति पर विचार करेगा, लेकिन उसे इस पर तो ध्यान देना ही होगा कि आखिर यह नीति कितनी कारगर साबित हो रही है? नीतीश सरकार अपनी शराबबंदी की नीति को लेकर कुछ भी दावा करे, उस पर सवाल उठते ही रहते हैं। स्वयं सुप्रीम कोर्ट यह पूछ चुका है कि क्या उसके पास ऐसा कोई आंकड़ा है, जिससे यह पता चल सके कि शराब की खपत मैं कितनी कमी आई हैं? पता नहीं नीतीश सरकार के पास इस सवाल का क्या जवाब है, लेकिन वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकती कि दुनिया में कहीं पर भी शराबबंदी सफल नहीं हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि शराब स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है और हर सरकार का यह दायित्व है कि वह शराब के चलन को कम करने के उपाय करे, लेकिन क्या यह उपाय पूर्ण शराबबंदी हो सकता है? यह वह प्रश्न है जिस पर नीरक्षीर ढंग से विचार किया जाना चाहिए क्योंकि न तो अवैध तरीके से शराब बिक्री का सिलसिला थम रहा है और न ही जहरीली शराब का धंधा निःसंदेह ऐसा नहीं है कि केवल शराबबंदी वाले बिहार में हो जहरीली शराब बन और बिक रही है। यह काम उन राज्यों में भी हो रहा है, जहां शराबबंदी नहीं है। कुछ लोगों ने अवैध तरीके से शराब बनाने-बेचने को एक धंधा बना लिया है। चूंकि यह सस्ती शराब होती है इसलिए गरीब लोग उसे खरीदना पसंद करते हैं। इसी चक्कर में वे अपनी जान गंवाते हैं। बिहार सरकार को उन कारणों की तह तक जाकर उनका निवारण करना होगा, जिनके चलते अवैध तरीके से शराब बनाने-बेचने के धंधे पर लगाम नहीं लग रही है। यही काम अन्य राज्य सरकारों को भी करना होगा।

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