दर्द
दर्द तो सबको होता है,
कोई छुपाता है,
तो कोई जताता है।
कोई आँसू में दर्द को बहाता है,
तो कोई दर्द छुपा कर मुस्कुराता है।
कोई दर्द में तन्हाई ढूँढता है,
तो कोई महफ़िल में जाता है।
कोई दर्द को लफ़्ज़ बनाता है,
वो शायर फिर कहलाता है।
कोई धुन बना लेता है दर्द भरी,
कोई उस धुन पर गाता है।
दर्द तो सब को होता है,
कोई छुपाता है तो कोई जताता है।
कोई दर्द में डूबा हुआ,
अकेले रहना चाहता है।
तोड़ के सारे रिश्ते नाते,
दर्द से रिश्ता निभाता है।
ढूँढे कोई दवा दर्द की,
दर्द जो भूलना चाहता है।
कोई एक दर्द को भूलने को,
दूसरा दर्द अपनाता है।
कोई दर्द मिलने पर,
किसी से बाँटना चाहता है।
तो कोई दर्द को ले के साथ,
दर्द से दूर भागता है।
हाँ दर्द तो सब को होता है,
कोई छुपाता है तो कोई जताता है।
◆◆◆