मुस्कुराना
मुस्कुराना तो एक कला है
यह भी एक अजीब बला है।
नकली मुस्कान होठों पर लिए,
इंसान जाने कितनी बार चला है।
लेकिन कुछ लोग मुस्कुरा कर भी,
दर्द को जिंदा रखते हैं,
दर्द को जीते हैं।
गम में डूबे हुए भी,
अपने अश्कों को वो पीते हैं।
हिम्मत का काम ही तो है,
गम को हंसते हुए अपनाना।
जिंदगी लाख नखरे दिखाए,
चाहे गम मिले बनके नजराना।
आंसू हजार आंखों में लिए,
हर हाल में फिर भी मुस्कुराना।