Homeकवितादुनिया का दस्तूर दुनिया का दस्तूर The Rebel Pen✒ 3/26/2021 0 दुनिया का दस्तूर, कुछ ऐसा है हुज़ूर, कैसे कोई खुशनुमा रहे.? यहाँ तो हर कदम पर, हर डगर पर, कहीं सोच जले, तो कहीं दिल के अरमान जले। कविता Newer Older