है वो ऐसा शत्रु जो बिल्कुल अदृश्य है,लक्ष्य इसका एक मात्र मानवता का विनाश है।शायद ये पहली बार है जो थर्रा रखा धरा को,आज पूरा विश्व विवस है बंद घरो में रहने को।तेरी वजह से न जाने कितनी जानें चली गई,न जाने कितनी जानें और तू ले जाएगी।तुझे यम कहु या यमदूत मुझे तो कुछ पता नही,पर जो भी है तू खतरनाक है बूढ़े,बीमार और लाचार के लिए यमराज से कम नही।पर सुन ऐ अदृश्य शत्रु,शायद तुझे अंदाजा नही तू पंगा लिया है किससे,हम मानव शत्रु से डट कर लड़ते है डरते नही किसी से।तेरे जैसे कितनो को युगों-युगों से हराया है हमनें,आशा ही नही विश्वास है तुम्हे भी हराएंगे।हर समस्या का समाधान आता है हमे,यू ही नही हम ज्ञानी मानव कहलाते है।-✍️ संजीव मुन्ना
अदृश्य शत्रु
4/28/2020
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