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One sided इश्क़

One sided इश्क़

one sided इश्क़
एकतरफा मोहब्बत का एक अलग ही मजा होता है। one sided लव में बहुत सारी बातें होती हैं जिनके साथ जीने का एक अलग ही मजा होता है। सबसे पहले एक तरफ़ा मोहब्बत में उम्मीद नाम की एक नायाब चीज कायम रहती है। ना सिर्फ मोहब्बत, बल्कि जिन्दगी की किसी घड़ी में उम्मीद का ना होना बड़ा घातक होता है। अभिनव सुमन के भी जहन में एक ऐसी ही उम्मीद जगी थी। अपने गोरे चेहरे पर फास्टट्रैक का काला चश्मा लगाये बुलेट को रफ़्तार देता वो संयोग से एक एकतरफा रास्ते पर ही जा रहा था कि उसे जाम का सामना करना पड़ा। उसी जाम में उसने देखा था, साँवले चेहरे पर उभरी दो बड़ी-बड़ी आँखें और उन आँखों ने जैसे उसे सिग्नल ही नहीं दिया वहाँ से बाहर निकलने का। जब जाम टूटा तो वो साँवली काया विपरीत दिशा में चल पड़ी थी। एक बार तो उसके जी में आया कि बुलेट को स्कूटी के पीछे दौड़ा दे, लेकिन किसी लड़की का पीछा करना उसे उचित नहीं लगा।
अभिनव मानता था और ये सच भी है कि चीजें जब एकतरफा हों तो मशक्कत और मजा दोनों ज्यादा होता है। अभिनव को किसी और से बेपनाह मोहब्बत थी। लेकिन वो चीज उसे मिल गयी और वहीं से सिलसिला शुरू हो गया आकर्षण ख़त्म होने का। उसे बुलेट की बेइन्तहा चाहत थी और उसने काफी जल्दी ले भी ली। उसके बाद दो बातें हुईं। पहली तो उसकी ये उम्मीद ख़त्म हुई कि एक दिन बुलेट पर उसका स्वामित्व होगा और दूसरा ये कि बुलेट से आकर्षण ख़त्म। अब साहब को हार्ले डेविडसन चाहिए था। अब दीवानगी हार्ले डेविडसन के लिए।
वैसे अभी-अभी जिन नयनों ने उसे गिरफ्तार किया था वो भी उसे बेचैन किये जा रही थी। वो चाहता तो उसके पीछे जा सकता था लेकिन वो उस समय गया नहीं। आँखें चार होकर इसकी आँखों में जगह बना गयीं। वहीं मोहतरमा के स्कूटी का नम्बर भी अभिनव के दिमाग में छप गया। अगली बार वो जब भी बाहर निकलता या कहीं भी गाड़ी पार्क करता तो स्कूटी पर उस नम्बर को ढूँढा करता। संयोग से एक दिन , हाँ इतवार था उस दिन। फिर उसे याद आया जब पिछली बार मतलब पहली बार उसने स्कूटी पर ये नम्बर पढ़ा था तो वो दिन भी इतवार ही था। जब तक प्यार एकतरफा होता है तब तक दिन क्या, घंटा और मिनट भी याद रहता है। तो जिस मॉल में वो जा रहा था स्कूटी उसी के बाहर पार्क थी। बड़े इत्मीनान से वो अंदर गया और आधे घंटे की मुसलसल मेहनत के बाद एक बार फिर से वो बड़ी-बड़ी आँखें उसकी आँखों की पहुँच में आ गयी थीं। अब वो बस दूर से उस श्यामवर्णा को निहारता रहा। जब तक वो मॉल में रही तब तक। शायद अब उसे भी पता चल गया था कि अभिनव उसे देख रहा है। और शायद इसीलिए उसने उस दिन थोड़ा ज्यादा समय मॉल में बिताया। उसके बाहर आते ही अभिनव भी बाहर आ गया।
ये सिलसिला अब हरेक इतवार चलने लगा था। अब बिन कुछ कहे दोनों के बीच कुछ पकने लगा था लेकिन या तो अभिनव की हिम्मत ना हो पा रही थी या वो चाह नहीं रहा था कि वो उस लड़की से बात करे। कुछ इतवारों के बाद भी जब अभिनव ने उससे कोई बात नहीं की। बात करना तो दूर, उसे अब तक उसका नाम भी नहीं पता चला था, तो वो लड़की एक दिन अभिनव की तरफ चल कर आने लगी। अभिनव ने उसे देख लिया और वो उस जगह से चला गया। वहाँ उसका दोस्त रह गया था। उसने उसके दोस्त से पूछा,
"तुम्हारा दोस्त जब मुझे इतना follow करता है तो फिर मुझसे बात क्यों नहीं करने की कोशिश करता?"
"मुझे नहीं पता। मैंने तो कई बार उसे बोला भी है कि वो तुम्हारा नाम तो पूछ ले कम-से-कम। "
"ठीक है लगता है वो शर्माता है। तुम मेरा नम्बर उसे दे देना।" बोलते हुए उसने कागज की पर्ची जिसपर सिर्फ उसका नम्बर लिखा था, सुभाष को थमा दिया।
उस दिन, उसके बाद कभी उस लड़की को अभिनव नहीं दिखा। ना ही सुभाष को ही वो मॉल में दिखा। जैसे ही वो लड़की मॉल से बाहर निकली उसने सुभाष को कॉल किया और फिर जाने लगा। सुभाष बहुत ही खुश होते हुए उससे बोलने लगा,
"ये देखो उसने आज अपना नम्बर दे दिया है।" उसने पर्ची अभिनव को थमा दी। अभिनव ने पर्ची बिना देखे फाड़ दी, बाइक स्टार्ट किया और सुभाष को पीछे बिठा कर जाने लगा।
"ये क्या है जिसके पीछे तुम महीनों से आ रहे हो उसने आज तुम्हें अपना नम्बर दिया और तुमने फाड़ दिया!" सुभाष ने बड़े आश्चर्य से पूछा।
"तुम नहीं समझोगे। " हल्की सी मुस्कान के साथ अभिनव ने जवाब दिया।
अब उस मॉल में अभिनव कभी संडे को नहीं जाता था। अब वो हफ्ते के किसी दूसरे दिन, किसी दूसरे मॉल के बाहर या फिर यूँ ही यहाँ-वहाँ स्कूटी पर वो नम्बर तलाशता था। स्कूटी और उसके साथ उस लड़की के दिख जाने की उम्मीद को वो ख़त्म नहीं करना चाहता था। इसलिए अब उसने संडे को बहार निकलना छोड़ दिया था। वो उस लड़की के लिये अपने आकर्षण को कम नहीं होने देना चाहता था इसलिए उसने उसका मोबाइल नम्बर फाड़ दिया था। वो अपने one sided इश्क़ के मजे को ख़त्म नहीं करना चाहता था इसलिए बस इसलिए................. 

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