वो एक साधारण लड़की है
वो कहती है मैं बहुत बार भूलने की
कोशिश की लेकिन भुला नहीं पाई
की मैं साधारण लड़की हूँ,
कभी कहती है मुझे तुमसे प्यार नहीं
और कभी कहती है मुझे तुमसे बहुत प्यार है,लेकिन बताना नही चाहती,
पहले बात दिल देने और लेने की होती थी लेकिन अब ......
हफ़्ते, महीनों यहाँ तक सालो गुजर गए
लेकिन अब बात नही होती,
कभी लगता था की उसकी मोहब्बत मेरे जीने का सबब है लेकिन आज लगता है
की उसको देख कर जीना भी अजाब है मुझपर ,उसे देखता हूँ तो घंटों दिल थामकर बैठ जाता हूँ,देर तक सोचता हूँ, जाने-नजाने क्या-क्या? लेकिन बावजूद ......
वो कुछ नहीं कहती,मेरी आँखें उसे निहारते हुये जब थक जाती है ,
मैं वापस लौट जाता हूँ फिर से अपनी नींद की आवेश में,इक ऐसी नींद जो बहुत गहरी है जो सिवाय तक़लीफ़ के मुझे कुछ भी नहीं दे सकती,
इन उलझनों से मैं कई बार निकलने की
कोशिश की लेकिन मैं हर बार नाकाम रहा........
क्योकि मैं साधरण नही हूँ न शायद,
उसके वादे अपनी वफ़ा से इस तरह कैद हूँ मैं लाख कोशिश कर लूं लेकिन उससे जुदा नही हो सकता,
वो आखिरी बार था जब मैन उसे रिहाई दी थी तबसे आजतक मैं तड़पता जी रहा हूँ,और ये तड़प एक ऐसी तड़प है की जिसे जाहिर किये बिना मेरा एक कदम भी चलना दुस्वार है......
और वो इतने साधारण है कि सबकुछ भूल के मिलों का सफ़र कर लिए है,
अब इतनी दूर निकल चुके है कि
उनका लौटना तक मुमकिन नही !!
ख़ैर मैं साधारण नही हूँ न !!
वो कहती है मैं बहुत बार भूलने की
कोशिश की लेकिन भुला नहीं पाई
की मैं साधारण लड़की हूँ,
कभी कहती है मुझे तुमसे प्यार नहीं
और कभी कहती है मुझे तुमसे बहुत प्यार है,लेकिन बताना नही चाहती,
पहले बात दिल देने और लेने की होती थी लेकिन अब ......
हफ़्ते, महीनों यहाँ तक सालो गुजर गए
लेकिन अब बात नही होती,
कभी लगता था की उसकी मोहब्बत मेरे जीने का सबब है लेकिन आज लगता है
की उसको देख कर जीना भी अजाब है मुझपर ,उसे देखता हूँ तो घंटों दिल थामकर बैठ जाता हूँ,देर तक सोचता हूँ, जाने-नजाने क्या-क्या? लेकिन बावजूद ......
वो कुछ नहीं कहती,मेरी आँखें उसे निहारते हुये जब थक जाती है ,
मैं वापस लौट जाता हूँ फिर से अपनी नींद की आवेश में,इक ऐसी नींद जो बहुत गहरी है जो सिवाय तक़लीफ़ के मुझे कुछ भी नहीं दे सकती,
इन उलझनों से मैं कई बार निकलने की
कोशिश की लेकिन मैं हर बार नाकाम रहा........
क्योकि मैं साधरण नही हूँ न शायद,
उसके वादे अपनी वफ़ा से इस तरह कैद हूँ मैं लाख कोशिश कर लूं लेकिन उससे जुदा नही हो सकता,
वो आखिरी बार था जब मैन उसे रिहाई दी थी तबसे आजतक मैं तड़पता जी रहा हूँ,और ये तड़प एक ऐसी तड़प है की जिसे जाहिर किये बिना मेरा एक कदम भी चलना दुस्वार है......
और वो इतने साधारण है कि सबकुछ भूल के मिलों का सफ़र कर लिए है,
अब इतनी दूर निकल चुके है कि
उनका लौटना तक मुमकिन नही !!
ख़ैर मैं साधारण नही हूँ न !!