अरे जानेमन अगर तुम नही ना कोई बॉयफ़्रेंड बनाओगी तो मुझे ही मजबूरन बॉय फ़्रेंड और गर्ल फ़्रेंड दोनो बना कर रखना पड़ेगा।-सुनीता आँख मारते हुए पुजा की तरफ़ देखते हुए बोली।
तू भी ना पागल है जो मुँह में आता है बक देती है-पुजा झेपते हुए बात टालने की कोशिश करती है।
तू ही बता इत्ति बड़ी हो गयी और एक अदद बॉय फ़्रेंड नही बना पायी-सुनीता टोंट मारते हुए पुजा को बोली।
अरे मुझे नही पड़ना इन लब सब के चक्कर में ये सब फ़ालतू का झमेला है दिन भर टेन्शन अलग जानू कहाँ हो? जानू खाना खाई? ये सब मेरे बस की चीज़ नही है रे और मेरा तेरे में भी कोई इंटरेस्ट नही है।जब ऊपर वाला चाहेगा जिसके साथ जितना साथ लिखा होगा अपनी सेटिंग हो जाएगी।-पुजा इतना कह कर करवट बदल ली।
होस्टल में दोनो रूम मेट थी पर पूरा कॉलेज और होस्टल इन दोनो की दोस्ती से जलता था। एक को जो खाने का मन करता था दूसरी उसकी ज़ुबान खुलने के पहले हाज़िर कर देती थी। इतनी अंडरस्टैंडिंग पूरे कॉलेज में किसी की नही थी। कई बार लड़कियाँ इन दोनो को अलग भड़काने की कोशिश की पर इनके अंदर तो लड़कियों वाला कोई लक्षण ही नही था।फ़ेविकोल की तरह चिपकी ही रहती थी दोनो।
एक्चुली ना सुनीता जब आजकल का प्यार देखती हूँ ना तो मन ही नही करता कहीं दिल लगाने का।जैसे सब्ज़ी वाले से लोग फ़्री में धनिया मिर्चा डलवा लेते हैं वैसे ही प्यार मिल रहा है बिना कुछ किए बिना कुछ दिए। प्यार का असली मतलब तो त्याग होता है ना।अब तो पल दो पल लग रहा है प्यार जताने में और पल दो पल लग रहा है प्यार भुलाने में।समझो लँग़र में बँट रहा है आजकल का प्यार जो चाहे लपक सकता है।-पुजा सीरीयस होकर सुनीता से बोल रही थी।
बेटा लँग़र का प्रसाद भी आजकल कहाँ सबकी क़िस्मत में होता है।और तू तो पुराने ज़माने का प्यार नए ज़माने में खोज रही है कोई अचार थोड़े ही है की जितना पुराना होगा उतना अच्छा होगा।मेरी रानी वक़्त के साथ चल नही तो पीछे ही छूट जाएगी-सुनीता तंज कसते हुए बोली।
अच्छा चल मैं कल से नए ज़माने की बन जाती हूँ कल दिला दे प्रसाद लँग़र का-पुजा छेड़ते हुए बोली।
ठीक है लगी शर्त कल तुझे तेरा प्यार दिला कर ही मानूँगी-सुनीता चलेंज लेते हुए बोली।
मंज़ूर है अच्छा सुन ज़रा सर दबा दे बहुत दर्द हो रहा है-पुजा ने कहरते हुए बोला।
अबे चल सो जा मेरा वाला बात करने के लिए वेट कर रहा है और ये सर दर्द वर्द ना कल के बाद पूछूँगी कहाँ गया-सुनीता बोलते हुए बोलकनी में चली गयी।
कहाँ से उस दिन मैंने सुनीता को नए ज़माने का बनने का वादा कर दी थी।आज कोफ़्त होती है उस दिन पर।आज रेल की पटरियों की तरह शांत लेटी पड़ी हूँ और ये ग़म रेल की तरह धड़ धड़ करते हुए गुज़र रहे हैं।आज एक साल होने जा रहा है सूरज को मुझसे दूर गए।-मन में बुदबुदाती हुई पुजा अचानक से फफ़क़ कर रोने लगी।
अरे अरे क्या हुआ तुझे। तू फिर शुरू हो गयी। आज तो रहम कर मेरी माँ।आज तो बैंकिंग का रिज़ल्ट आ रहा है।मुझे पक्का पता है तू सलेक्ट हो जाएगी।-सुनीता बात घुमाने की कोशिश की।
नही यार मैंने ऐसे ही दिया था तैयारी भी नही की थी मेरा नही होगा-पुजा ने बोला।
लगता है आज ज़िंदगी ख़फ़ा है अरे चलिए छोड़िए कौन सी ये पहली दफ़ा है-सुनीता आँख मारते पुजा को हँसाते हुए बोली।
मर जा कमीनी चैन से रोने भी नही देती है-पुजा तकिया सुनीता की तरफ़ फेंकते हुए बोली।
पता है तेरी प्रॉब्लम क्या है जानेमन तू दिल के साथ साथ दिमाग़ भी दे देती है।अरे जब दारू पचती नही है तो नही पीते हैं और जब प्यार पचता नही है तो दिल ही सिर्फ़ लगाते हैं ताकी दो मिनट में पलटी मार ले दिमाग़ लगा देगी तो वही अटकी रह जाएगी ज़िंदगी भर।-सुनीता पुजा को समझाते हुए बोली।
हाँ बेटा मैं तेरी तरह नही हूँ मेरा एक शुरू हुआ और साल भर में ख़त्म हो गया और तेरा एक साल में ही दो दो शुरू हो गया।मुझे उस दिन तेरे साथ जाना ही नही था।-पुजा ग़ुस्से में बोली।
तू ही तो बोली थी मुझे भी भंडारे का प्रसाद दिला दे और मुझे नही पता था तू ऐसी निकलेगी नही तो मैं क़तई ना ले जाती-सुनीता कहते हुए निकल गयी
उस दिन काश मैं नही गयी रहती सुनीता के साथ।-पुजा पुरानी बातों में फिर खो गयी।
पुजा इससे मिलो ये है सूरज मेरे बॉय फ़्रेंड का दोस्त।-सुनीता सूरज की तरफ़ इशारा करते हुए एक साल पहले पुजा और सूरज की मुलाक़ात कराई थी।
दोनो एक दूसरे को देखे और मुस्कुराते हुए इधर उधर देखने लगे।
अब तुम लोग बातें करो हमारी मूवी है निकल कर मिलते है।सुनीता अपने बॉय फ़्रेंड के साथ चली गयी।
पुजा एक बार और देखी सूरज की तरफ़ और मुस्कुराई।मॉल में भीड़ भाड़ थी उस वक़्त।
चलिए ना कहीं चल कर बैठते है कॉफ़ी पीते हैं-यही पहले शब्द थे जो सूरज ने पुजा को बोले थे।
कुछ बताइए अपने बारे में-सूरज कॉफ़ी हाउस में बैठ कर पुजा से पूछा था।
जी मेरे बारे जितना कम जानिए उतना अच्छा होगा क्यूँकि वास्तव में मुझे मेरे बारे में बताने को इतना कम है सब की एक लाइन भी ना लगे-पुजा हँसते हुए बात टाल गयी।
कॉफ़ी पीते हुए पुजा ने पूछा -आप तो बता ही सकते हैं अपने बारे में।कोई गर्ल फ़्रेंड है आपकी?
माहौल में एक सन्नाटा सा छा गया था उस वक़्त।सूरज छत की तरफ़ देख रहा था और उसकी उँगलियाँ कप के मुहाने पर गोल गोल घूम रही थी।
पुजा को लगा शायद उसकी बात बुरी लग गयी उसे इसलिए वो खिचखिंचाते हुए बोली अगर आपको नही बताने का मन हो तो रहने दीजिए।
सूरज अब उसकी आँखों में देख रहा था उसकी आँखें डबडबाई सी थी।लाल हो चुकी आँखों से आँसू बस निकलने को तैयार थे।
पुजा उस वक़्त घबरा सी गयी थी।उसे सूझ नही रहा था आगे कैसे ट्रीट करना है।वो काँपते हाथो से टिशू सूरज की तरफ़ बढ़ाई और तीन चार बार सॉरी बोलती गयी।
फिर सूरज थोड़ा नॉर्मल हुआ और ज़बरदस्ती की एक मुस्कान चेहरे पर लाने की कोशिश किया।फिर उसने पुजा की तरफ़ देखते हुए कहा-तुमको सॉरी कहने की ज़रूरत नही है।
कुछ देर शांत रहने के बाद बोला-थी मेरी एक गर्ल फ़्रेंड।बहुत प्यार करता था उसको लेकिन आज वो किसी और की है।तीन साल हो गए इस बात को।वो अब नही है मेरी ज़िंदगी में फिर भी ना जाने कहाँ से वो मेरे चारों तरफ़ रहती है।मेरे इर्द गिर्द मेरी हर सोच में।मैं कितना भी उससे दूर ख़ुद को ले जाता हूँ वो और पास आ जाती है।वो चली गयी है पर वो मेरे ज़ेहन में घर कर गयी है।
सूरज की आवाज़ भर्रा रही थी।पुजा पानी की ग्लास उसकी तरफ़ बढ़ाते हुए बस इतना कही की सब ठीक हो जाएगा।
थोड़ी देर माहौल ऐसे गम्भीर था।फिर सूरज ने पुजा का हाथ पकड़ कर पूछ लिया-क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी।
पुजा के शरीर में अचानक से बिजली गुज़र गयी वो सिहर सी गयी और काँपते हुए आवाज़ में बस इतना कही -हाँ।
सूरज से उस दिन बातें करके बहुत अच्छा लगा।कब वो ढाई घंटे उसको सुनते हुए बीत गये एक पल भी वक़्त का एहसास नही हुआ था।
सुनीता का फ़ोन आते ही हम वहाँ से निकल गये।एक दूसरे को अपना नम्बर देते हुए।
अरे मैडम आप तो मेरे से भी तेज़ निकली।पहली मुलाक़ात में ही हाथ में हाथ डालकर चलने लगी।-सुनीता पुजा को छेड़ते हुए बोली।
तेरी जो बुद्धि है ना वही तक रहेगी उसके आगे नही बढ़ सकती।उसको मेरी ज़रूरत थी यार उस वक़्त।बेचारा इमोशनल हो गया था और अभी तो ठीक से दोस्ती भी नही हुई है-पुजा ग़ुस्से में बोली।
देख ये ज़रूरत पूरी करने वाला सीन अगर रखना है तो वही रख और अगर प्यार वाला सीन रखना है तो वो रख पर दोनो को एक साथ मिक्स करके मत रख-सुनीता ने बोला।
तभी पुजा के मोबाइल पर मैसेज आया चैट बॉक्स में सूरज का।
बातचीत का सिलसिला चल पड़ा।कब सुबह होती कब रात होती पुजा भूल चुकी थी।जो अख़बार सुबह आता वो शाम तक भी ताजा ताजा ही रखा रहता था।पुजा भूल चुकी थी की उसका मक़सद क्या है यहाँ रहने का।उसको कॉम्पटिशन की तैयारी करनी थी।वो अपने जीवन के लक्ष्य से भटक रही थी।
अच्छा सुनो ये तुम अपनी एक्स गर्ल फ़्रेंड से किस बात पर लड़ाई किए थे?
लड़ाई और मैं तुमको लगता है मैं कर सकता हूँ।
तो फिर क्या हुआ था?
एक दिन हम डेट पर गए थे उसने पूछा कैसी लग रही हूँ ?मैंने मस्त बोला फिर उसने पूछा अच्छा बताओ मेरे बाल लम्बे हुए की नही? मैंने देखा बोला ठीक है जैसे थे।वो ग़ुस्से में आ गयी और मेरी आँखों पर हाथ रख कर बोली बताओ किस कलर की ड्रेस मैंने पहनी है? सच बताऊँ उस वक़्त मैं ध्यान नही दे पाया था उसके ड्रेस पर आँख बंद करने पर उसका बस वही चेहरा दिखता था जो मैंने पहली बार में उसको देखा था।मैंने कहा सफ़ेद और उसने आँख से हाथ हटाया और चली गयी।वो उस दिन पिंक ड्रेस पहनी थी।
ऐसे कुछ दिन बीतते गए ना मैं ईगो में उसे फ़ोन किया ना उसने मुझे।और जब महीनो बाद हमारे दिल पिघले तब तक उसकी शादी तय कर दी गयी थी।
अच्छा फिर क्या हुआ था? पुजा ने आगे मेसेज किया पर उधर से कोई जवाब नही आया।
अरे मैडम जी खाना खा लो फ़ोन में लगी रहोगी तो पेट नही भरेगा-सुनीता ने कहा।
एक बात बता ये पहला प्यार लोग भूल क्यूँ नही पाते हैं-पुजा ने पूछा।
जैसे तू नही भूल पा रही है अरे अभी हफ़्ता भर भी नही हुआ और सोना खाना सब भूल चुकी है।चुपचाप खाना खा ले-सुनीता ने खीझते हुए कहा।
मुझे सूरज से प्यार हो गया है लेकिन वो एक बार भी मुझसे मेरे बारे में नही पूछा।मैं ये सोच रही हूँ जब वो किसी से इतनी सिद्दत से प्यार कर रहा है जो उसकी ज़िन्दगी से बहुत दूर है तो सोच मुझसे कितना करेगा मैं तो उसके क़रीब आ रही हूँ-पुजा में खाना खाते हुए सुनीता से कहा।
वेरी फ़नी मुंगेरी लाल के सपने।अरे उसे दुःख ग़म भुलाने के लिए कंधा चाहिए रोने के लिए अगर उसका तेरे में इतना इंट्रेस्ट रहता ना तो वो सिर्फ़ तेरे बारे में ही तुझसे पूछता-सुनीता पुजा को समझाते हुए बोली।
तू जलने लगी है मुझसे।मैं तेरे को अब टाइम नही दे रही हूँ ना।-पुजा मुँह बीचकाते हुए बोली।
दिन हफ़्ते महीने बीतते गए पुजा ख़ुश थी और एक दिन सुबह सुबह उसने सूरज को मैसेज किया "आइ लव यू" उधर से जवाब आया "आइ लव यू टू"।
पागल जब प्यार करते थे तो एक महीने लगा दिए बोलने में।पता है लड़कियाँ पहले नही प्रपोज़ करती हैं और आज मैं नही कहती तब तो तुम सालों लगा देते कहने में।
अरे नही मैं बोलता ना।अच्छा चल मैं करता हूँ बात कुछ देर में-सूरज फ़ोन पर बस इतना बोला।
बहुत अजीब लग रहा था उस दिन पुजा को की अपनी ज़िंदगी की इतनी बड़ी बात उसने बोली और सूरज के अंदर ज़रा भी फ़र्क़ नही पड़ रहा है।हो सकता है परेशान हो बेचारा।
उस दिन शाम को सूरज के लिए शर्ट गिफ़्ट में ख़रीदा पुजा ने नेक्स्ट डे मूवी का प्रोग्राम बना।ख़ूब एंजॉय किए दोनो।
अरे तेरे को उसने कोई गिफ़्ट नही दिया-सुनीता पुजा से पूछी।
नही उसने बोला चलो चल कर अपनी पसंद से ले लो पर मैंने मना कर दिया था।-पुजा उदास सी होकर बोली।
देख पुजा मैं अब भी बोल रही हूँ उसकी तरफ़ से प्यार का कोई सीन नही है तू अपना दिल दिमाग़ मत लगा उस पर।तेरे लिए ये सब पहली बार है पर उसके लिए ये सब दूसरी बार है-सुनीता पुजा को समझाते हुए बोली।
क्या कर रही हो-अगले दिन सूरज ने पुजा से पूछा था।
कुछ नही -इग्ज़ाम जाने के लिए पुजा तैयार होते हुए बोली।
मेरे पास आओगी मेरे रूम पर-सूरज पूछा।
वहाँ क्या करेंगे-पुजा बोली
कुछ नही आ जाओं बातें करेंगे कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करेंगे-सूरज बोला।
पुजा ने हामी भर दी और इग्ज़ाम जाना कैन्सल कर दी।
तुम मुझसे सच में प्यार करते हो ना-पुजा ने सूरज से पूछा।
हाँ।कोई शक है वो थी और तुम हो और तुम ही रहोगी-सूरज पुजा को बाँहों में भरते हुए बोला।
दिल दिमाग़ शरीर अब हर तरह से पुजा सिर्फ़ सूरज की हो चुकी थी।लेकिन एक सूनापन उसको अपने प्यार में हमेशा नज़र आता था।
सूरज की हर ज़रूरत में पुजा खड़ी रहती थी।जो बातें शुरुआत में ख़त्म नही होती थी कम नही पड़ती थी अब वो बातें ख़त्म होने लगी थी।"और बताओ" बस यही शब्द आ गया था दोनो के बीच और इसी शब्द के साथ गुड नाइट हो जाती थी।
कितना अच्छा मौसम हो रहा है ना-सूरज ने फ़ोन पर पुजा को बोला।
हाँ-पुजा अनमने से जवाब दी।
पता है मैं और मेरी एक्स जब ऐसा मौसम होता था तो बाइक से निकल जाते थे और शहर के बाहर जो हाईवे हैं वहाँ ढाबे पर पराँठा और कुल्हड़ वाली चाय पीते थे।पर अब कहाँ वो दिन अलग थे।चलो आज चलते हैं पुरानी यादें ताजा हो जाएँगी-सूरज आगे बोला।
सूरज बी क्लीयर।तुम अभी प्रेज़ेंट में हो पास्ट में नही। तुम ये करते थे तुम वो करते थे उसके साथ।करते थे ना अब ना वो है और ना मैं वो बनने की कोशिश कर रही हूँ।और मैं सिर्फ़ मैं हूँ किसी की पुरानी यादों को ताज़ा करने की मशीन नही।अगर तुम मुझसे सिर्फ़ इतना कहते की वहाँ चलते हैं तो मैं तुरंत चल पड़ती पर तुम सिर्फ़ इसलिए ले जाना चाहते हो ताकी तुम पुरानी यादें ताज़ा कर लो तो सॉरी-पुजा ग़ुस्से में बोली।
देखो तुम उसकी जगह अगर लेना चाहती हो तो ये मुमकिन नही है।पर हाँ मैं इस बात से भी इंकार नही कर रहा की मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई जगह नही है।-सूरज ने बात को समेटने की कोशिश की।
हफ़्ते गुज़र गए बाते सिर्फ़ गुड मोर्निंग और गुड नाइट में सिमट गयी थी। पुजा इसी उधेड़ बुन में रहती थी की उसकी जगह कहाँ है सूरज के दिल में।उसकी भी क्या ग़लती है ये तो मैं ही आगे बढ़ कर गयी थी उसने तो पहले ही सब क्लीयर कर दिया था की कोई और है उसके ज़ेहन में।आख़िर पुजा दुबारा रिश्ते को शुरू करने का मन बना ली।
दोनो एक कॉफ़ी शॉप में मिलते हैं।पुजा एक बुके लेकर गयी थी।
क्या बात है मैडम आज बहुत रोमांटिक मूड में हैं-सूरज ने पुजा को छेड़ते हुए बोला।
अरे नही तुम मुझे अभी तक समझ नही पाए या समझने की कोशिश ही नही किए।मेरे लिए तुम्हारी ख़ुशी ज़्यादा इम्पॉर्टेंस रखती है-पुजा बोली।
अच्छा फिर टोंट-सूरज आँख मारते हुए बोला।
एक बात पुछू शादी करोगे मुझसे-पुजा ने दबी ज़ुबान में पूछा।
इस सवाल का यहाँ अभी क्या मतलब है।मैंने अभी शादी के बारे में नही सोचा है और ना ही ये वादा तुमसे कर सकता हूँ की मैं तुमसे शादी करूँगा।तुम अब भी रहना चाहो तो रह सकती हो और जाना चाहो तो जा सकती हो-सूरज ने खीझते हुए कहा।
तुम इस वक़्त झूठ भी बोल देते तो मुझे अच्छा लगता ख़ैर-पुजा बात को आधा ही छोड़ दी।
माहौल में सन्नाटा सा था।सामने अख़बार पड़ा था।
अरे ये देखो मेरी एक्स की फ़ोटो।बैंकिंग में टॉप की है बहुत ज़िद्दी थी देखो शादी के बाद भी उसने कर दिखाया।-सूरज अख़बार में छपे एक फ़ोटो की तरफ़ इशारा करते हुए बोला।
अरे ये देखो मेरी एक्स की फ़ोटो।बैंकिंग में टॉप की है बहुत ज़िद्दी थी देखो शादी के बाद भी उसने कर दिखाया।-सूरज अख़बार में छपे एक फ़ोटो की तरफ़ इशारा करते हुए बोला।
पुजा वहाँ से निकल गयी।एक वो दिन था एक आज का दिन है पूरे एक साल बीत गये इस बात को ना सूरज ने कभी मुड़ कर उसे मनाने की कोशिश की ना पुजा वापस उसकी ज़िंदगी में जाने की कोशिश की।
अरे महारानी ये दिन भर वही खिड़की पर खड़ी रहेगी की रोल नम्बर देगी अपना मैं जा रही हूँ साइबर कैफ़े तेरा बैंकिंग का रिज़ल्ट देखने-सुनीता ग़ुस्से में पुजा से बोली।
पुजा को लगा जैसे वो खिड़की पर खड़े होकर अपना पूरा एक साल जी ली वो एक साल जिसको वो अपनी ज़िंदगी से हमेशा के लिए मिटा देना चाहती है।
अरे क्यूँ परेशान हो रही है नही आएगा मेरा नाम इस बार मैंने बिलकुल तैयारी नही की थी-पुजा टालते हुए सुनीता को बोली।
तभी होस्टल के दरवाज़े पर तीन चार लड़कियों ने दस्तक दिया।अरे पुजा आज पार्टी दे तूने पूरा स्टेट टॉप किया है देख तेरी फ़ोटो इंटरनेट पर चल रही है।
पुजा को तो जैसे सब सपना लग रहा था।वो निढ़ाल होकर सुनीता के कंधो पर सिर रख रोने लगी।
अरे पगली तू ये डिजर्व करती है ये ख़ुशी तुझे एक साल पहले मिल गयी होती अगर तुझे अपनी ख़ुशियों की परवाह होती।प्यार में ज़रूरत ख़ुशियाँ एक दूसरे के लिए जीना मरना ये सब दोनो तरफ़ से होता है और तू एक तरफ़ा चलाने निकली थी।सुनीता पुजा के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली।
वो एक साल मेरी ज़िंदगी का सबक़ था।मैं उसे कभी भूलूँगी नही।-पुजा अपने आँसू पोछते हुए मुस्कुराने की कोशिश की।
तभी उसके मोबाइल पर सूरज का मेसेज आया-बधाई हो अभी देखा तुम्हारी फ़ोटो।आइ मिस यू ए लॉट।
पुजा मुस्कुराई और सूरज का नम्बर ब्लाक लिस्ट में डाल दी।
सुनीता और पुजा एक दूसरे को देखी और मुस्कुराई।
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