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रौंग नम्बर से हृदय परिवर्तन(भाग-2)

..........पुस्तकों की दुकान का मालिक आनंद से खुश था। आनंद भी मेहनत से अपना काम करता था। एक दिन दुकान का मालिक किसी काम से बाहर गया हुआ था और आनंद दुकान पर अकेला था। अचानक उसकी नज़र काउंटर पर गल्ले की तरफ पड़ी जिसमें चाभी लगी छोड़ गया था। आनंद अलावा उस समय दुकान पर और कोई नहीं था। उसने गल्ला खोलकर देखा तो उसमें रूपये भरे हुए थे। गल्ले में रक्खे रुपयों को देखकर आनंद का मन डोल उठा।
कहानी चालू रहेगा अगले भाग में देखे....

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